< नरमा Ajeet 177 Cotton Seed रिजल्ट | मोटा टिंडा - बड़ा पेड़ | लेकिन क्या है इसकी सच्चाई? जानिए एक किसान का अनुभव

नरमा Ajeet 177 Cotton Seed रिजल्ट | मोटा टिंडा – बड़ा पेड़ | लेकिन क्या है इसकी सच्चाई? जानिए एक किसान का अनुभव

By Suresh

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Ajeet 177 Cotton Seed

jeet 177 Cotton Seed: नमस्कार किसान भाइयों और बहनों! मैं सुरेश साहू, एक अनुभवी किसान हूँ और मैंने अपने खेत में नरमा Ajeet 177 की खेती का प्रयोग किया था। आज मैं आपके साथ अपना अनुभव साझा करना चाहता हूँ। पिछले साल, मैंने अपने 5 एकड़ खेत में इस किस्म को लगाया था। शुरुआत में मुझे भी कुछ शंकाएँ थीं, लेकिन जैसे-जैसे फसल बढ़ी, मैं इसके परिणामों से आश्चर्यचकित हो गया। आइए, मैं आपको बताता हूँ कि यह किस्म कैसी है और इसकी खेती करने का मेरा अनुभव कैसा रहा।

Ajeet 177 Cotton Seed Details | अजीत 177 कपास बीज की जानकारी

अजीत 177 एक उच्च उपज देने वाली कपास की किस्म है। यह BG-II तकनीक से विकसित की गई है, जो कीटों से बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है। मेरे अनुभव के अनुसार, इस किस्म की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं:

  1. लंबा और मजबूत पौधा
  2. बड़े आकार के टिंडे (कपास के फल)
  3. अधिक शाखाएँ और फूल
  4. बेहतर कीट प्रतिरोधक क्षमता
  5. उच्च उपज क्षमता

jeet 177 Cotton Seed Summary Table | अजीत 177 बीज का सारांश तालिका

विवरणजानकारी
बीज का नामअजीत 177
बीज का प्रकारBG-II तकनीक
ब्रांडअजीत सीड्स
प्रमुख गुणलंबा पौधा, बड़े टिंडे
उपयोगकपास उत्पादन
संवेदनशीलताकम (कीट प्रतिरोधी)
उपजउच्च (मेरे अनुभव से 20-25 क्विंटल/एकड़)
अंकुरण दर90-95%
पौधों की ऊंचाई5-6 फीट (बिना PGR के 7-8 फीट तक)
कटाई का समयबुवाई के 150-170 दिन बाद
रोग प्रतिरोधक क्षमताउच्च

Benefits of Ajeet 177 Seeds | अजीत 177 बीज के फायदे

अजीत 177 के कई फायदे हैं जो मैंने अपनी खेती में देखे:

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Ajeet 177 Cotton Seed
  1. बड़े टिंडे: इस किस्म के टिंडे बड़े होते हैं, जिससे प्रति पौधा उपज अधिक मिलती है।
  2. मजबूत जड़ें: पौधे की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं, जो सूखे की स्थिति में भी अच्छी तरह टिकी रहती हैं।
  3. कीट प्रतिरोधकता: BG-II तकनीक के कारण, यह किस्म कई कीटों से स्वयं ही लड़ने में सक्षम है।
  4. अधिक शाखाएँ: पौधे में ज्यादा शाखाएँ निकलती हैं, जिससे फूलों और टिंडों की संख्या बढ़ जाती है।

Cultivation Methods for Ajeet 177 | अजीत 177 की खेती के तरीके

मेरे अनुभव से, अजीत 177 की सफल खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

  1. बुवाई का समय: अप्रैल के अंत से मई के मध्य तक बुवाई करें।
  2. बीज दर: लगभग 1.5 से 2 किलो प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करें।
  3. खाद: बुवाई के समय 1 बैग DAP प्रति एकड़ डालें। बाद में नाइट्रोजन की आवश्यकतानुसार टॉप ड्रेसिंग करें।
  4. सिंचाई: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें, विशेषकर फूल और टिंडे बनने के समय।
  5. कीट नियंत्रण: नियमित निरीक्षण करें और आवश्यकता पड़ने पर ही स्प्रे करें।

Harvesting and Yield of Ajeet 177 | अजीत 177 की कटाई और उपज

अजीत 177 की कटाई बुवाई के लगभग 150-170 दिनों के बाद शुरू हो जाती है। मेरे खेत में, मैंने देखा कि:

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  1. पहली तुड़ाई: बुवाई के 150 दिन बाद शुरू हुई।
  2. कुल तुड़ाई: 4-5 बार में पूरी फसल की तुड़ाई हुई।
  3. उपज: मुझे औसतन 22-25 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिली।
  4. गुणवत्ता: रूई की गुणवत्ता अच्छी थी, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिला।

Economic Benefits of Ajeet 177 | अजीत 177 के आर्थिक लाभ

अजीत 177 की खेती से मुझे काफी आर्थिक लाभ हुआ:

  1. उच्च उपज: प्रति एकड़ अधिक उपज से कुल आय बढ़ी।
  2. कम लागत: कीट प्रतिरोधी होने के कारण कीटनाशकों पर खर्च कम हुआ।
  3. गुणवत्ता प्रीमियम: अच्छी गुणवत्ता की रूई के लिए बाजार में बेहतर दाम मिला।
  4. जल्दी आय: फसल जल्दी तैयार होने से, मैं अगली फसल की तैयारी जल्दी शुरू कर सका।

निष्कर्ष

मेरे अनुभव से, अजीत 177 एक बेहतरीन किस्म है जो उच्च उपज और अच्छी गुणवत्ता की रूई देती है। हालांकि, इसकी लंबी हाइट को नियंत्रित करने के लिए PGR का उपयोग जरूरी है। सही देखभाल और प्रबंधन के साथ, यह किस्म किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। लेकिन याद रखें, हर खेत की मिट्टी और जलवायु अलग होती है, इसलिए अपने क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही इसकी खेती करें। मुझे उम्मीद है कि मेरा अनुभव आपके लिए मददगार होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या अजीत 177 सभी प्रकार की मिट्टी के लिए उपयुक्त है?

अजीत 177 अधिकांश प्रकार की मिट्टी में अच्छा प्रदर्शन करती है, लेकिन दोमट और काली मिट्टी में इसका प्रदर्शन सबसे अच्छा होता है। बलुई मिट्टी में इसकी खेती करने से पहले मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।

क्या अजीत 177 में PGR का उपयोग जरूरी है?

हाँ, अजीत 177 में PGR (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर) का उपयोग करना फायदेमंद होता है। इससे पौधे की ऊंचाई नियंत्रित रहती है और फूल झड़ने की समस्या भी कम होती है। PGR के उपयोग से फसल प्रबंधन आसान हो जाता है।

अजीत 177 की खेती में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

अजीत 177 की सबसे बड़ी चुनौती इसकी अधिक ऊंचाई है। बिना PGR के, पौधे 7-8 फीट तक लंबे हो सकते हैं, जो फसल प्रबंधन को मुश्किल बना सकता है। इसके अलावा, शुरुआती अवस्था में पौधा ज्यादा वृद्धि पर ध्यान देता है, जिससे निचली शाखाओं पर टिंडे कम लग सकते हैं।

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Suresh

मैं सुरेश साहू, 27 वर्षीय किसान और कृषि छात्र हूँ। बिजेपुर गाँव में 10 एकड़ भूमि पर खेती करता हूँ। मेरे पिता के 45 साल के अनुभव के साथ, मुझे 4 साल का अनुभव है। मैं भुवनेश्वर के SOA विश्वविद्यालय के कृषि कॉलेज में दूसरे वर्ष का छात्र हूँ और किसानों की मदद के लिए AgriJankari.com चलाता हूँ।

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